Journey of the train | ट्रेन का सफर

Journey of the train  | ट्रेन का सफर


वैसे तो हमने कई ट्रेन यात्रायें की हैं लेकिन ये सबसे मजेदार यात्राओं में से एक थी. मेरे छोटे भाई ने मुझे बताया की भैया एक मेल आया है मुझे एच सी एल से मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया है. मैंने कहा ये तो अच्छी बात है.
कब जाना है तब भाई बोला:- भैया! कल चलते हैं!
मैं:- ठीक है, चलो कल की छुट्टी लेनी पड़ेगी.
journey by  train
एच सी एल, मतलब हिंदुस्तान कंप्यूटर लिमिटेड ने पहली बार लखनऊ में जॉब के लिए डिप्लोमा होल्डर को भी मौका देने का मन बना लिया था. जिन लोगों ने डिप्लोमा किया था उन्होंने वहां जाकर लिखित परीक्षा देनी थी और फिर उसे क्वालीफाई करना था. परीक्षा में कई विद्यार्थी सम्मिलित हुए और उसमें मेरा भाई भी था.  सबको मेल भेजा गया. सभी को एक निश्चित तारीख पर इंटरव्यू के लिए बुलाया गया. ये घटना उसी समय की है..

 ये बात तब की है जब मैं अपने भाई के साथ लखनऊ से लौट रहा था. बड़ी मुश्किल से हमें ट्रेन मिली सारी ट्रेने जा चुकी थी बस आखिरी ट्रेन थी यह.प्लेटफॉर्म पर हम काफी समय तक टहलते रहे. वहां हमें एक अंग्रेज का जोड़ा दिखाई दिया मेरे भाई ने मुझसे जिद की कि मैं उनसे अंग्रेजी में बात करूं. जब वो नहीं माना तो मैंने भी उनसे बात करने का मन बना लिया..बात करते समय हमने ध्यान दिया कि भीड़ ने हमको घेर लिया था. तब भाई बोला चलो भैया चलते हैं...
फिर हमने टिकट लिया और आखिरकार ट्रेन में बैठ गए. बहुत भीड़ थी ट्रेन में लेकिन जैसे तैसे बैठने को मिल गया तो सोचा चलो कम से कम बैठने को तो मिल गया वही बहुत है. सारी ट्रेनों को पता नहीं क्या हो गया था सब की सब लेट चल रही थी. लेकिन सुकून इस बात का था कि बैठने को मिल गया था.
मुझे अच्छा लगता हैं खिड़की के पास बैठना, हो सकता है आपको भी पसंद हो. बस कोई न कोई बहन ढूंढ ही लिया जाता है खिड़की के पास बैठने का. जैसे अगर भीड़ ज्यादा हो तो यह कहकर की भाई देखो मुझे उल्टी होती है सब अपनी सीट से उठ जाते हैं और मिल जाती है जगह(कभी कोशिश करके देखिएगा  बहुत कारगर तरीका है!) क्या आपने भी इस तरीके का कभी प्रयोग किया है?
कमेंट करके जरूर बताना ठीक हैं! मुझे इंतजार रहेगा...

यात्रा करते लगभग आधा घंटा ही हुआ था कि लड़का जो कि लगभग 18 या 20 साल का लग रहा था सामने वाले सीट पर बैठ गया. ट्रेन में भीड़ ज्यादा होने के कारण कई लोग खड़े खड़े यात्रा भी कर रहे थे. मैंने एक नजर उस पर डाली और फिर मैं खिड़की से बाहर दौड़ते पेड़, खेत खलियान और खेलते बच्चे और न जाने क्या क्या देखने में खो गया, बड़ा मजा आता है ऐसा करके वो भी जब गर्मी का महीना हो कभी कभी नींद भी आने लगती है..जब ट्रेन चल रही हो और गर्मी का मौसम हो तो खिड़की के बाहर देखने का मज़ा ही कुछ और होता है.
फिर उस लड़के पर मैंने नजर डाली और देखा उस लड़के ने अपना मंहगा स्मार्ट फ़ोन निकाला और PUBG खेलने में व्यस्त हो गया. PUBG के बारे में एक कहावत जो मैंने एक सोशल साइट्स पर पढ़ी थी वो थी.."अगर खेलोगे PUBG तो बेचोगे सब्जी".एक दम शांत बिलकुल देखने में इंजिनियर वाला लुक दे रहा था वो. मैं अपने भाई की ओर देखा और मुस्करा दिया.हमने सहयात्रियों से इतनी बाते कर ली थी कि अब कुछ बोलने का मन ही नहीं कह रहा था. सब शांत था. मैंने सोचा लड़का कुछ मेरी तरफ देखे तो कुछ वार्तालाप को आगे बढाया जाय. लेकिन बन्दे ने लगभग 40 मिनट तक देखा ही नहीं बस वही PUBG.
धीरे धीरे गाड़ी धीमें होने लगी और उसने मुस्करा कर देखा..(लगता था भैया जी ऊब गए थे) और फिर अचानक गंभीर हो गया. मुझे लगा लौंडा सच में इंजिनियर है क्या? चलो पता करते हैं?(मैंने सोचा चलो आज जो कोई मिला जो हमें कंप्यूटर के बारे में कुछ नया बताएगा) इसी ख़ुशी के साथ मैंने उससे वार्तालाप करने का निर्णय कर लिया.
मैंने पुछा:- 'आप कहाँ से आ रहें हैं?'
लड़का:- 'लखनऊ से'
दो टूक जवाब दिया उसने! अरे वाह !
मैं: क्या करते हैं आप?
लड़का: मैं प्रोग्रामर हूँ!
मैं खुश हुआ क्या अंदाज़ा लगाया मैंने! और अपने भाई की तरफ देखा जो अभी भी मुस्कुरा रहा था.
मैं: अतुल! भैया से पुछा लो कुछ! देखो ये प्रोग्रामर हैं!
अतुल: आप किस फ्रेमवर्क पर काम करते हैं?
लड़का: चुप था, फिर तुरंत पुछा ये क्या होता है?
अतुल: अगर आप प्रोग्रामर हैं तो आपको पता होना चाहिए कि फ्रेमवर्क क्या होता हैं!
लड़का: नहीं वो मैं कंप्यूटर चला लेता हूँ  कभी-कभी मेरे मामा सॉफ्टवेयर इंजिनियर हैं न!
मैं अपने मन में सोच रहां था वाह बेटा मैं ही मिला तुम्हे मूर्ख बनाने के लिए!

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