Mind power हिंदी में
Mind power
Mind power
लोग सन्देश भेजने के लिए पैदल ही जाते थे. यह वो समय थे जब चिट्टी का अविष्कार नहीं हुआ था. अगर उसी समय कोई आकार आपको अपना स्मार्टफोन दिखाए और कहें कि पता है इससे भी मेसेज भेज सकते हैं!
यकीन मानिये आपका एकदम शांत भाव से नकार देंगे और कहेंगे:- ऐसा हो ही सकता! ये असंभव है.समय के साथ साथ तकनीकी विकास का मार्ग बदलता रहता है और यहां तक कि संचार के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी परिवर्तन होते रहते हैं। जब लोग सन्देश भेजने के लिए पैदल ही जाते थे और चिट्टी या पत्रकार का अविष्कार नहीं हुआ था, तब संवाद करने का एक साधन सिर्फ मुलाकात थी। इस समय की जगह अगर कोई आपको बताए कि उसी क्षण आप एक छोटे से यंत्र को हाथ में पकड़कर दूरस्थ स्थानों से संदेश भेज सकते हैं, तो यह अत्यंत चमत्कारी और आश्चर्यजनक लगता है।
कोई चीज एक समय के लिए असंभव प्रतीत होती हैं (something seems impossible for a time)
इससे एक बात यह साफ़ हो जाती हैं कि कोई चीज एक समय के लिए असंभव प्रतीत होती हैं वो आगे आने वाले समय में एक सामान्य वस्तु बनकर रह जाती है. अब आप खुद बताइए कि क्या हैं ये कह सकते हैं हम भविष्य में क्या कर सकते हैं? और क्या नहीं!बिलकुल नहीं!
हम हमेशा वही सोचते हैं जो हमने पहले से ही जाना होता है. आश्चर्य की बात तो यह है कि हमारी कल्पनाएँ भी इसी सीमा में बंधी रहती हैं. हम जितना जानते हैं सिर्फ उतनी ही कल्पनाएँ भी कर पाते हैं. कई बार उन कल्पनाओं को जब सच करने की बारी आती है तो वर्तमान अनुभव तर्क का रूप लेकर उसका खंडन कर देता है. हमारे पास कल्पनाओं का ढेर ख़त्म होने लगता है.हमारी सोच और कल्पनाएं हमारे अनुभवों, शिक्षा, और सामाजिक परिस्थितियों पर आधारित होती हैं। यह एक रूटीन प्रक्रिया है जो हमें सुरक्षित और निर्दिष्ट महसूस करने में मदद करती है, लेकिन यह भी हमें नए और विशेष दृष्टिकोणों से विमुक्त होने की रोक सकती है। हम हमेशा वही सोचते हैं जो हमने पहले से ही जाना होता है, और इस प्रक्रिया में हमारी कल्पनाओं की सीमा हो सकती है।
कल्पनाओं को सिर्फ स्वतंत्र उड़ान चाहिए (Imaginations just want free flight)
इससे यह भी सिद्ध होता है कि कल्पनाओं को सिर्फ स्वतंत्र उड़ान चाहिए उन्हें तर्क की बंदिश पसंद नहीं है. तर्क कल्पना के पैरों की बेड़ियाँ है. उसे कभी भी आड़े नहीं आने देना चाहिए.कई बार विज्ञान भी हमारी कल्पनाओं को बाधित करता है.
आपको एक वाकिया बताता हूँ...
थॉमस अल्वा एडिसन का नाम आपने सुना होगा! जब उन्होंने तमाम वैज्ञानिकों को ये बात बताई कि मैं बिजली का अविष्कार करूँगा. सब वैज्ञानिक ठहाका लगाकर हंस पड़े थे. सबने कहा:- ये पागल हो गया है. ऐसा असंभव है. फिर आपको पता ही है कि क्या हुआ?
आज हम सबके घरों में एक मिनट के लिए बिजली कट जाती है तो कैसे सभी सुख बेगाने लगने लगते हैं.
बस आपसे यही कहना था कि आप अपनी कल्पनाओं को सीमित मत करिए. क्यों कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि "कल्पना ही बुद्धि की तीव्रता को दिखाती है".
आप बस प्रयास करिए आपका सपना जरूर सच होगा.
मेरी और भी पोस्ट्स पढ़ें:-
Post a Comment