झूठ मत बोलो | Never Lie

 

झूठ मत बोलो (Never Lie)





Never Lie

झूठ मत बोलो | Never Lie


इये शुरू से शुरू करते हैं :- "झूठ बोलना पाप है।" ये बात तो बचपन में हमारे माता-पिता ज़रूर सिखाते हैं। लेकिन जैसे जैसे हम बड़े होते हैं हमें लगता हैं ये बातें फिजूल हैं इनका जीवन में कोई ख़ास अर्थ नहीं। आपने उस गड़रिया की कहानी सुनी होगी, जो ऱोज अपनी भेड़ों को चराने के लिए जंगल में ले जाता और गाँव के लोगों को बार-बार चिल्लाकर बुलाता और कहता कि "बचाओ! मेरी भेड़ों को भेड़िया ले जा रहा है " और बेचारे गाँव वाले लाठी लिए दौड़े चले आते और वहां पहुंचकर उसे हँसता हुआ पाते। यहाँ एक बात समझनी बहुत जरूरी है कि भरोसा बहुत कमजोर वस्तु है इसे तोड़ने के लिए सिर्फ झूठ ही काफ़ी है, वही ये सच बोलते रहने से कायम रहता है! गाँव वाले दो-तीन दिन तक उसे लड़के की बात पर भरोसा करके आते रहे...लेकिन एक दिन सच में भेड़िया आया और भेड़ों को ले जाने लगा लेकिन अब भरोसा उस लड़के का साथ छोड़ चुका था तो फिर गाँव वाले कैसे उसका साथ देते। उस दिन वो चिल्लाता रहा लेकिन कोई नहीं आया! 

भरोसा बहुत कमजोर वस्तु है (Trust Is A Very Fragile Thing)


महज़ एक झूठ ने उसे लड़के से क्या- क्या छीना? गाँव वालों को भरोसा और भेड़ दोनों से ही वह लड़का हाथ धो बैठा।
आजकल तो इन्टरनेट की दुनियाँ में प्रैंक विडियो की भरमार आ गई है लेकिन आपने विडियो में देखा है; जिसके साथ प्रैंक होता है उसकी स्थिति देखी है? कितना घबरा जाता है वह? यह एक टार्चर नहीं तो क्या है? व्यक्ति डर को कोई भी कदम लेने के लिए मजबूर कर सकता है अगर उस व्यक्ति का मन मज़बूत नहीं है तो! मैं मानता हूँ कि ज्यादातर प्रैंक जो शूट किये जाते हैं वो पहले से तय होते हैं! लेकिन कुछ तो असली भी होते हैं। 
आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में विद्यार्थियों के सन्दर्भ में भरोसा बहुत कमजोर वस्तु है। यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है, जो उन्हें अनेक तरीकों से प्रभावित कर सकती है।

कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए( Never Lie)

घर पर माता-पिता और स्कूल में टीचर हमें अक्सर यही बात समझाते रहते हैं कि कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। आखिर वो ऐसा क्यों कहते हैं? इसके पीछे क्या वजह है क्या कभी अपने जानने की कोशिश की? नहीं न!  और आखिर ऐसा हम क्यों न करें? इसमें फ़ायदा भी तो हमारा ही होता है न! फ़ालतू की जिम्मेदारी से बच जो जाते हैं !
लेकिन जरा गहराई से सोचिये? आप बचना किससे चाहते हैं? जिम्मेदारियों से! जो आपको और मजबूत बनने में आपकी मदद करती हैं। संघर्ष और चुनौतियाँ जीवन को सही कसौटी पर कसने का यन्त्र हैं। 
आप ने गर्मियों में दूध को ख़राब होते देखा होगा! उसे थोड़ा सा संघर्ष करने दो और घी में बदलने दो.. अब देखो यह हजार साल तक अब ख़राब नहीं होगा। है न कमाल की बात; संघर्ष आपको और मजबूत बनाता है और विषम परिस्थितियों में भी सहज रहना सिखाता है। 

मेरा मानना है कि चार लोगों से झूठ बोलने से आप कभी अपने जीवन को आसान नहीं बना सकते:-  माता-पिता, डॉक्टर , वकील और अध्यापक । इन चारों को एकदम सटीक जानकारी की जरूरत होती है। अगर आप डॉक्टर को अपनी समस्या सही से नहीं बताएँगे तो वो आपकी समस्या का समाधान करने में उलझा रहेगा, आपका शरीर उसके लिए प्रयोग शाला बन जायेगा। उसके सारे प्रयास इसी में विफल होते रहेंगे कि आखिर आपको समस्या क्या है? कौन सी दवा आपको ठीक कर पायेगी। अगर कोई वकील जो आपका केस लड़ रहा है अगर उसे आप सही जानकारी नहीं देते हैं तो वो भी आपकी मदद नहीं कर पायेगा। वो अपना माथा पीट लेगा। कक्षा में अध्यापक पढ़ा रहा है और अगर आप अपनी समस्या नहीं बता पाए तो वो भी आपकी कभी मदद नहीं कर पायेगा। 


अभिव्यक्ति की क्षमता (ability to express)

अभिव्यक्ति की क्षमता ही हमें अन्य जीवों से श्रेष्ठ बनाती है। ईश्वर ने हमें दो कान और एक मुंह क्यों दिया है? कभी सोचा है आपने? ताकि हम ज्यादा सुनें समझे और फिर जितनी ज़रुरत हो उतना बोलें। अगर आप अपनी बात किसी के सामने ठीक से नहीं रख पाते तो कोई बात नहीं लेकिन कम से कम अपनी समस्या तो ठीक से बताना तो आना ही चाहिए। मैं मानता हूँ कि कुछ बच्चे अंतर्मुखी होते हैं अर्थात वे कम बोलते हैं लेकिन फिर भी वो अपनी समस्या का सामना करते हैं और जहाँ ज़रुरत समझते हैं अपनी बात रखते हैं। 


मेरी और भी पोस्ट्स पढ़ें:- 

No comments

Powered by Blogger.